बुधवार 15 शव्वाल 1445 - 24 अप्रैल 2024
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वह ईद के दिनों के दौरान तकबीर की रिकॉर्डिंग चलाने के बारे में पूछ रहा है

प्रश्न

कुछ दुकानदार अपनी दुकानों में और अपनी दुकानों के दरवाजों पर बड़े-बड़े लाउडस्पीकर रखते हैं, जिनसे ज़ुल-हिज्जा के पहले दस दिनों के दौरान तकबीरों – ईद की तकबीरों - की आवाज़ आती है, तो उसका क्या हुक्म हैॽ क्या इससे रोका जाना चाहिएॽ क्या यह बिदअत (नवाचार) के अर्थ के अंतर्गत आता हैॽ क्या सुन्नत को पुनर्जीवित करने के लिए, ज़ुल-हिज्जा के पहले दस दिनों के दौरान कक्षा की शुरुआत में, हमारा छात्रों को तकबीर कहने का आदेश देना बिद्अत हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

सर्व प्रथम :

अपेक्षित यह है कि लोग ईद के दिनों में अल्लाह सर्वशक्तिमान की बड़ाई का वर्णन करें (तकबीर कहें) और इसका प्रदर्शन करें।

ईद की तकबीरों के साथ रिकॉर्ड की गई आवाज़ों को बुलंद करना : ऐसा है जो लापरवाह को सचेत कर देता है और भूल जाने वाले को याद दिलाता है। इसलिए वह इस पहलू से वांछित है, जब तक कि ऐसा करने से लोगों को कोई कष्ट नहीं पहुँचता, या ऊँची आवाज़ के कारण उन्हें परेशानी नहीं होती, तथा उसमें अतिशयोक्ति न हो।

हम यह नहीं कहते हैं कि वह बिदअतों में से है; क्योंकि बिदअत केवल उस चीज़ में होती है जिसका कारण पुनीत पूर्वजों (सलफ़ सालेहीन) के युग के दौरान पाया गया हो और उन्होंने उसे न किया हो, तो वह बिदअत है। परंतु रिकॉर्डिंग का उपकरण, एक नयी चीज़ है जो पिछले युगों में मौजूद नहीं था, जैसा कि यह सर्वज्ञात है।

इसी तरह वह भी है जो दुकानों के दरवाज़ों आदि पर, प्रवेश करने और बाहर निकलने के ज़िक्र और ऐसे ही अन्य नियमित अज़कार को याद दिलाने के लिए, स्थापित किया जाता है। तो इसमें भी कोई आपत्ति प्रतीत नहीं होती है।

दूसरा :

जब साल के इन दिनों के दौरान तकबीर कहना धर्मसंगत है, तो उसके लिए लोगों को प्रेरित करना भी, सामान्य रूप से और हर समय वांछित है, चाहे वह स्कूलों में पाठ से पहले हो या उसके बाद में, जब भी उसके लिए स्थिति उपयुक्त हो और उसके परिणामस्वरूप कोई कर्तव्यों न छूटे या किसी काम में कमी न आए।

तथा यह कक्षाओं की शुरुआत या उनके अंत के साथ विशिष्ट नहीं होना चाहिए; बल्कि जिस तरह भी उनके लिए यह करना संभव हो, इसे किया जाना चाहिए।

यदि शिक्षक अपनी कक्षा में ज़ोर से तकबीर कहते हुए प्रवेश करे, ताकि उसके छात्र उसके उदाहरण का अनुसरण करें, या वह उन्हें ऐसा करने का आदेश दे और उन्हें ऐसा करने पर प्रोत्साहित करे : तो यह धर्मसंगत है और दूसरों को नेकी और तक़्वा (परहेज़गारी) की ओर मार्गदर्शन करना है।

बुखारी ने अपनी सहीह (2/20) में वर्णन किया है कि : “इब्ने उमर और अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हुमा (ज़ुल-हिज्जा के प्राथमिक) दस दिनों के दौरान, तकबीर का पाठ करते कहते हुए, बाज़ार में निकलते थे और लोग उनकी तकबीर सुनकर तकबीर का पाठ करते थे।”

लेकिन यह इस शर्त पर है कि उसका उद्देश्य यह न हो कि छात्र उसे सामूहिक रूप से एक स्वर में कहें।

तथा प्रश्न संख्या (127851) का उत्तर भी देखें।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर