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मिश्रित विद्यालयों में अध्ययन एवं अध्यापन

08-08-2023

प्रश्न 127946

मुझे एक समस्या है जो मेरे लिए बहुत अधिक सोचने और उलझन का कारण बन रही है। लगभग दो महीने पहले, मैं माध्यमिक विद्यालय शिक्षण परीक्षा उत्तीर्ण करने में सक्षम हुआ था, और अब मैं शिक्षक प्रशिक्षण विद्यालय में अंग्रेजी में पढ़ाई कर रहा हूँ। मैं 15 पुरुष और 15 महिला विद्यार्थियों वाले सह-शिक्षा विभाग में पढ़ रहा हूँ। उसके बाद मुझे अपने देश के माध्यमिक विद्यालयों में से किसी एक में पढ़ाने के लिए नियुक्त किया जाएगा। ये माध्यमिक विद्यालय भी मिश्रित हैं। वास्तव में जो बात मुझे चकित करती है वह यह है कि मुझे पता है कि मिश्रण निषिद्ध है, और यह कि पुरुष को अपनी नज़रें नीची करने का आदेश दिया गया है। लेकिन मैं खुद से कहता हूँ कि हमारा देश अन्य मुस्लिम देशों की तरह नहीं है और यह कि धार्मिक और धर्मपरायणता वाले लोगों को इन पदों पर प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए; ताकि वे बिदअत (नवाचार) और पाप करने वालों का मार्ग अवरुद्ध कर दें। अब मुझे नहीं पता कि मैं जो कर रहा हूँ उसका प्रतिफल मुझे मिलेगा या नहीं, या क्या शैतान मेरे लिए यह कार्य आकर्षक बनाता है और मुझे धोखा देता है कि मैं आह्वान फैलाने और मुसलमानों को लाभ पहुँचाने और उन्हें शुद्ध अक़ीदा (विश्वास) और सही पद्धति के लिए मार्गदर्शन करने का इच्छुक हूँ। मैं इस बात से आश्वस्त हूँ कि एक गैर-महरम पुरुष के लिए बिना किसी बाधा (पर्दे) के महिलाओं को पढ़ाना जायज़ नहीं है, लेकिन क्या मेरा यह काम जरूरी नहीं है, यह देखते हुए कि धर्मनिरपेक्षतावादी (सेकुलर), सूफी और अन्य लोग देश के अधिकांश क्षेत्रों पर नियंत्रण रखते हैंॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

इस युग में मुसलमान जिन चीज़ों से पीड़ित हैं उनमें से एक : विश्वविद्यालयों, अस्पतालों, अधिकांश सार्वजनिक सुविधाओं और सरकारी नौकरियों में मिश्रण का प्रसार है।

मिश्रण के निषेध और और उसके परिणामस्वरूप होने वाली बुराइयों का वर्णन प्रश्न संख्या (1200) में पहले ही किया जा चुका है, और यह कि मुसलमान को मिश्रित स्थानों में अध्ययन और काम करने से बचना चाहिए।

लेकिन जिन देशों के लोग जीवन के अधिकांश क्षेत्रों, विशेष रूप से शैक्षिक केंद्रों, कार्यस्थलों और नौकरियों में मिश्रण से पीड़ित हैं, जहाँ एक मुसलमान के लिए खुद को उनसे दूर रखना बड़ा कठिन हो गया है, उन्हें वह रियायत दी जाती है जो दूसरों को नहीं दी जाती है जिन्हें अल्लाह ने इन चीज़ों से सुरक्षित रखा है।

यह रियायत इस न्यायशास्त्रीय नियम पर आधारित है जो कहता है : "जो किसी बुराई के साधन को रोकने के लिए निषिद्ध है वह आवश्यकता और प्रबल हित के लिए अनुमेय है।''

शैखुल इस्लाम इब्ने तैमिय्या रहिमहुल्लाह ने फरमाया : "संपूर्ण शरीयत इस तथ्य पर आधारित है कि जो बुराई निषेध की अपेक्षा करती है, यदि कोई प्रबल आवश्यकता उसका विरोध करती है, तो निषिद्ध की अनुमति है।" ''मजमूउल-फतावा'' (29/49) से उद्धरण समाप्त हुआ।

और उन्होंनें कहा :

''जो किसी चीज़ के साधन को रोकरने के शीर्षक के अंतर्गत आता है, वह केवल तभी निषिद्ध है जब उसकी कोई आवश्यकता नहीं है। लेकिन जहाँ तक किसी हित के लिए आवश्यकता की बात है जो उसके बिना हासिल नहीं किया जा सकता है, तो वह निषिद्ध नहीं है।" ''मजमूउल फतावा'' (23/214) से उद्धरण समाप्त हुआ।

इब्नुल-क़य्यिम ने कहा :

''जो किसी चीज़ के साधन को बंद करने के लिए निषिद्ध किया गया है, वह प्रबल हित के लिए अनुमेय कर दिया जाता है। जिस तरह कि अरिय्यह को 'रिबा अल-फज़्ल' (वृद्धि के व्याज) से अनुमेय कर दिया गया है, और जिस तरह कि कारण वाली नमाज़ों को फ़ज्र और अस्र के बाद जायज़ किया गया है, तथा जिस तरह निषिद्ध नज़र से शादी का प्रस्ताव रखने वाले, गवाह, डॉक्टर और और प्रयोगशाला के लिए देखना अनुमेय किया गया है। इसी तरह पुरुषों के लिए सोने और रेशम का निषेध महिलाओं की नकल करने के साधन पर रोक लगाने के लिए किया गया है, जिसका करने वाला शापित है, लेकिन उसमें से जिसकी आवश्यकता पड़ जाए उसे अनुमेय कर दिया गया है।''

''एलामुल-मुवक़्क़ेईन'' (2/161) से उद्धरण समाप्त हुआ।

शैख इब्ने उसैमीन ने कहा : ''जिस चीज़ को एक साधन के रूप में निषिद्ध किया गया है, वह आवश्यकता पड़ने पर जायज़ है।''

'मंज़ूमा उसूलुल-फ़िक़्ह' (पृ. 67) से उद्धरण समाप्त हुआ।

जो बात प्रत्यक्ष होती है, और अल्लाह ही सबसे अच्छा जानता है, वह यह है कि इस तरह के देशों में जहाँ यह आपदा व्याप्त है, वहाँ के लोगों को मिश्रण होने के बावजूद अध्ययन करने और काम करने की वह रियायत दी जा सकती है, जो रियायत उनके अलावा लोगों को नहीं दी जा सकती, जैसा कि ऊपर बताया गया है। लेकिन यह (रियायत) कई शर्तों के अधीन है, जो ये हैं :

पहली शर्त : यह है कि इनसान सबसे पहले ऐसी जगह ढूँढने का भरसक प्रयास करे जहाँ कोई मिश्रण न हो।

दूसरी शर्त : उसे इस्लामी नियमों का पालन करना चाहिए जैसे कि निगाहें नीची रखना, तथा काम या अध्ययन की आवश्यकता से ऊपर, बातचीत और वार्तालाप में सरल न होना।

शैख इब्ने उसैमीन रहिमहुल्लाह से एक ऐसे युवक के बारे में पूछा गया जिसने केवल एक मिश्रित स्कूल पाया। तो उन्होंने कहा : ''आपको एक ऐसा स्कूल तलाश करना चाहिए जिसकी यह स्थिति न हो। अगर आपको इस स्थिति को छोड़कर कोई स्कूल नहीं मिलता है और आपको पढ़ने की आवश्यकता है, तो आप पढ़ें और अध्ययन करें, और आप जितना संभव हो उतना अभद्रता और प्रलोभन से दूर रहने के अति इच्छुक बनें, इस प्रकार कि अपनी नज़र नीची रखें, अपनी ज़ुबान की रक्षा करें, महिलाओं से बात न करें और उनके पास से न गुज़रें।” ''फतावा नूरुन अलद-दर्ब'' (1/103, 13/127)

तीसरी शर्त :

यदि कोई व्यक्ति देखे कि उसका मन निषिद्ध (हराम) की ओर फिसल रहा है और वह अपने साथ की महिलाओं के प्रलोभन का शिकार हो रहा है, तो उसके धर्म की सुरक्षा अन्य सभी हितों पर प्राथमिकता रखती है, इसलिए ऐसी स्थिति में उसे उस स्थान को छोड़ देना चाहिए, और सर्वशक्तिमान अल्लाह उसे अपनी कृपा से समृद्ध कर देगा।

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