बुधवार 15 शव्वाल 1445 - 24 अप्रैल 2024
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क्या अभी ज़रुरतमंद को दान देना, फिर समय पर ज़कात निकालना बेहतर है, या समय से पहले ज़कात देनाॽ

प्रश्न

क्या ज़कात को अगले रमज़ान में उसका समय आने से पहले देना जायज़ है, या उसका कुछ हिस्सा समय से पहले निकालकर मुसलमानों में से ज़रूरतमंद व्यक्ति को देना जायज़ हैॽ क्या अगर मैं ज़कात की नीयत कर लूँ, फिर अगले रमज़ान में मैं पूरी ज़कात अदा करूँ, तो क्या इस स्थिति में उसे (साधारण) दान माना जाएगाॽ तथा इस्लामी शरीयत के अनुसार सबसे अच्छा क्या हैॽ

उत्तर का पाठ

हर प्रकार की प्रशंसा और गुणगान केवल अल्लाह तआला के लिए योग्य है।.

सर्व प्रथम :

जमहूर (अधिकांश) विद्वानों के अनुसार समय से पूर्व ज़कात देने में कोई आपत्ति नहीं है।

समय से पहले ज़कात देने के जायज़ होने का प्रमाण वह हदीस है, जिसे अबू उबैद अल-क़ासिम बिन सल्लाम ने अपनी पुस्तक “अल-अमवाल” (हदीस संख्या : 1885) में अली रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत किया है कि “नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अब्बास (रज़ियल्लाहु अन्हु) से दो साल की ज़कात समय से पहले ली।” अलबानी ने “अल-इर्वा” (3/346) में कहा : यह हसन है।

एक अन्य रिवायत में है :

अली रज़ियल्लाहु अन्हु से वर्णित है : “अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से अपनी ज़कात साल गुज़रने से पहले देने के बारे में पूछा, तो आपने उन्हें इसकी रियायत (अनुमति) दी।” इसे तिरमिज़ी (हदीस संख्या : 678), अबू दाऊद (हदीस संख्या : 1624) और इब्ने माजा (हदीस संख्या : 1795) ने रिवायत किया है। तथा शैख अहमद शाकिर ने “तहक़ीक़ अल-मुसनद” (हदीस संख्या : 822) में इसे सहीह कहा है।।

इसमें कोई संदेह नहीं है कि ग़रीब और ज़रूरतमंद मुसलमान, जो  विस्थापित कर दिए गए हैं और जो अपने घरों और धनों में एक सामान्य महामारी (आपदा) से प्रभावित हैं, वे उन लोगों में से हैं जो ज़कात के हक़दार हैं और अपनी गंभीर ज़रूरत और दरिद्रता के कारण इसके सबसे योग्य हैं।

विद्वानों के विचारों में से प्रबल राय के अनुसार ज़कात की राशि को ज़कात देने वाले के देश के बाहर स्थानांतरित करना जायज़ है।

दूसरा :

उन संस्थाओं को ज़कात देना जायज़ है जो उसे ज़रूरतमंदों तक पहुँचाने में विश्वसनीय हैं।

इस तरह का प्रतिनिधि नियुक्त करना इस शर्त पर जायज़ है कि :  उनके प्रभारी ज़कात प्राप्त करने के लिए तैयार हों और पूरी राशि को ज़कात के हक़दार लोगों की उन आठ श्रेणियों में वितरित करें, जिनका अल्लाह तआला ने अपने इस कथन में उल्लेख किया है :

 إِنَّمَا الصَّدَقَاتُ لِلْفُقَرَاءِ وَالْمَسَاكِينِ وَالْعَامِلِينَ عَلَيْهَا وَالْمُؤَلَّفَةِ قُلُوبُهُمْ وَفِي الرِّقَابِ وَالْغَارِمِينَ وَفِي سَبِيلِ اللَّهِ وَاِبْنِ السَّبِيلِ فَرِيضَةً مِنْ اللَّهِ وَاللَّهُ عَلِيمٌ حَكِيمٌ

  [التوبة : 60]

"सदक़े (यानी ज़कात) तो मात्र फक़ीरों, मिसकीनों, उनकी वसूली के कार्य पर नियुक्त कर्मियों और उन लोगों के लिए हैं जिनके दिलों को आकृष्ट करना और परचाना अभीष्ट हो, तथा गर्दनों को छुड़ाने, क़र्ज़दारों के क़र्ज़ चुकाने, अल्लाह के मार्ग (जिहाद) में और (पथिक) मुसाफिर पर खर्च करने के लिए हैं। ये अल्लाह की ओर से निर्धारित किए हुए हैं, और अल्लाह तआला बड़ा जानकार, अत्यंत तत्वदर्शी (हिकमत वाला) है।" (सूरतुत्तौबा : 60)

तथा प्रश्न संख्या : (46209 ) का उत्तर देखें।

आपने जिस व्यक्ति या एजेंसी को प्रतिनिधि नियुक्त किया है, यदि आप उसकी ज़कात के हक़दार लोगों की छान-बीन करने में सटीकता पर संदेह करते हैं, जैसे कि वह इसे ग़ैर-मुस्लिमों को भुगतान कर सकता है, या इसे इस्लामी शरीयत के अनुसार हक़दार लोगों के अलावा अन्य जगहों में खर्च कर सकता है : तो आप उन्हें स्वैच्छिक दान देंगे।

जहाँ तक अनिवार्य ज़कात का संबंध है, तो आप इसे स्वयं निकालेंगे, ताकि आप सुनिश्चित हो सकें कि इसे उन लोगों पर खर्च किया गया है जो इस्लामी शरीयत के अनुसार इसके हक़दार हैं।

तीसरा :

यदि आप अभी ज़कात की नीयत करते हैं और फिर उसे रमज़ान में दोबारा निकालते हैं, तो जो अनिवार्य ज़कात है वह पहली है, और जो आप रमज़ान में देते हैं वह स्वैच्छिक दान होगा।

अगर मामला इस बीच का है कि या तो वह मौजूदा ज़रूरत को पूरा करने के लिए समय से पहले ज़कात दे, या वह उसे छोड़ दे और ज़कात को उसका नियत समय आने पर ही निकाले, तो आपातकालीन आवश्यकता को पूरा करने के लिए ज़कात को समय से पहले निकालना बेहतर है।

लेकिन अगर आप अपने अतिरिक्त धन से ज़रूरतमंद की ज़रूरत को पूरा कर सकते हैं, या ऐसा करने में मदद कर सकते हैं, और इसे सामान्य दान बना सकते हैं, फिर साल बीतने पर ज़कात को उसके समय पर निकालें : तो निःसंदेह यह बेहतर और सबसे शुद्ध है, और आप ऐसा करके अच्छे गुणों (कई नेक कामों) के संग्रहकर्ता होंगे। इसलिए अपने अधिशेष धन से संकट को दूर करने और जरूरतों को पूरा करने में मदद करें। फिर निर्दिष्ट समय पर अपने धन की अनिवार्य जकात अदा करें, और इस तरह रमज़ान में कई गुना प्रतिफल की बरकत (आशीर्वाद) प्राप्त करें, जिसमें आपके धन का साल पूरा होता है, जैसा कि हमने आपके प्रश्न से समझा है।

और अल्लाह तआला ही सबसे अधिक ज्ञान रखता है।

स्रोत: साइट इस्लाम प्रश्न और उत्तर